नपुसंकता किसे कहते हैं ? (What is Erectile Dysfunction in Hindi)
इरेक्टाइल डिसफंक्शन जिसे नपुंसकता भी कहते हैं एक यौन सम्बन्धी समस्या है। यह पुरुषों में होने वाला ऐसा रोग है जिससे इंसान के शरीर में वीर्य कम या खत्म हो जाता है। जिसके परिणाम स्वरुप कभी-कभी पुरुष संतान प्राप्ति में असमर्थ हो जाता है। अन्य बीमारियों के समान नपुंसकता भी अब सामान्य बीमारी बनते जा रही है। अधिक समय तक लोगों के तनाव एवं डिप्रेशन में रहने के कारण यह बीमारी असामान्य रूप से बढ़ने लगी है।
नपुंसकता को स्तंभन दोष के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी से पीड़ित पुरुष को सेक्स के दौरान इरेक्शन बिलकुल ही नहीं आता है और अगर कुछ मामलों में आता भी है तो पुरुष इरेक्शन को बरकरार नहीं रख पाता है। इरेक्शन कुछ सेकेंड के अंदर ही खत्म हो जाता है। संबंध बनाते समय इरेक्शन न होने की वजह से पेनिट्रेशन में दिक्कत आने की समस्या को इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष कहते हैं।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण (Erectile Dysfunction Symptoms In Hindi) :-
स्तंभन दोष को पहचानने के लिए उसके लक्षणों पर ध्यान रखना आवश्यक है। स्तंभन दोष या नपुंसकता का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण पुरुष का सेक्स के दौरान इरेक्शन और पेनिट्रेशन न होना है। इसके अतिरिक्त भी स्तंभन दोष या नपुंसकता के कई लक्षण देखे जा सकते हैं जो निम्न हैं:-
- यौन इच्छा में कमी आना
- समय से पहले वीर्य का निकल जाना
- देर से या बहुत ही काम मात्रा में वीर्ये निकलना
- सैक्स में मन न लगना
- सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान उत्तेजना को बनाए रखने में परेशानी होना
- लिंगे में उत्तेजना लाने में परेशानी होना
इन सबके अलावा, इरेक्टाइल डिसफंक्शन या नपुंसकता से पीड़ित पुरुष खुद में कुछ भावनात्मक लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं जैसे कि
- मन चिंतित होना
- हमेशा मन उदास रहना तथा
- शर्म और लज्जा महसूस करना आदि।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण (Causes of Erectile Dysfunction):
शरीर में किसी बीमारी के होने के एक कारण नहीं होते है। बल्कि शरीर के अंदर कई छोटी बीमारियों की अनदेखी करने के कारण वही आगे चलकर बड़ी बीमारी में अपरिवर्तित हो जाती हैं।
नपुंसकता या स्तंभन दोष के होने के कई कारण जिनमें कुछ निम्नलिखित हैं :
- हाई ब्लड प्रेशर एवं शुगर - वैसे तो इन बीमारियों को लोग सामान्य बीमारी समझ कर अनदेखी कर देते हैं पर यही लापरवाही अन्य बीमारी को बढ़ाने का कारण बन जाती हैं। जब लोगों में यह समस्या बढ़ जाती हैं टी यह लिंग में रक्त प्रवाह को रोक देती हैं जो नपुंसकता का एक कारण बन जाती हैं।
- हार्मोनल विकार-टेस्टिकुलर फेलियर और पिट्यूटरी ग्रंथि संबंधित समस्याएं या कुछ अन्य प्रकार की दवाओं का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन में कमी आ सकती है जिससे स्तंभन दोष का खतरा बढ़ जाता है।
- कैंसर- कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को भी इसकी शिकायत होने की सम्भावना होती हैं। कैंसर की दवाएं इस बीमारी के बढ़ने का कारण बनती हैं।
- सर्जरी- सर्जरी होने के बाद भी यह समस्या सामने आती हैं।
- डिप्रेशन- डिप्रेसन तथा मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्ति में हॉर्मोन में बदलाव के कारण यह समस्या देखने को मिलती है।
- शराब या सिगरेट का सेवन- शराब या सिगरेट का सेवन शरीर को अंदर से कमजोर कर देता हैं जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करता हैं।
- नशीली दवाओं के सेवन द्वारा-नशीली दवाओं का सेवन करना नपुंसकता की बीमारी को बढ़ाने का एक कारण बनती है जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं।
- दिल संबंधी रोग- इस प्रकार की समस्या भी लोगों में नपुंसकता बढ़ाने का कारण बनती हैं। जैसे – हार्ट अटैक, थक्का लगना आदि
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के प्रकार-
पुरुषों में पाया जाने वाला इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को हम निम्न प्रकार से देख सकते हैं :-।
- आसेव्य
- सुंगंधी
- कुंभीक
- ईर्षक
- षंड
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज (erectile dysfunction treatment)
नपुंसकता या इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। इसके इलाज की शुरुआत विभिन्न तरह के जाँच कर के की जाती ह। जैसे :-
शारीरिक टेस्ट (Physical test):
शारीरिक टेस्ट में लिंग और अंडकोष के साथ-साथ नसों की भी जाँच होती है।
मानसिक टेस्ट (Mental test):
मानसिक टेस्ट लोगों में डिप्रेशन की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। जिससे बीमारी का सटीक कारण पता लगाया जा सके।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound):
अल्ट्रासाउंड में लिंग की आपूर्ति करने वाली नसों की जांच करने के लिए ट्रांसड्यूसर जो सप्लाई करता है उसकी जांच की जाती है। तथा यह देखा जाता है की रक्त प्रवाह में कोई समस्या तो नहीं आ रही।
ब्लड टेस्ट (Blood test):
ब्लड टेस्ट करके लोगों में डायबिटीज, कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर, कोरोनरी बीमारी या अन्य कोई समस्या ढूंढ़ने की कोशिस की जाती है। जिससे इसके उपचार ,में सहायता मिल सके।
यूरिन टेस्ट (Urine Test):
यूरिन टेस्ट के द्वारा भी शरीर के भीतर की समस्या का पता लगाया जाता है तथा बीमारी का उपचार करने की कोशिस की जती है।
विभिन्न टेस्टों के रिपोर्ट के आधार पर बीमारी का पता लगाया जाता है तथा दवाएं दी जाती है। जिनमें नाइट्रिक एसिड की मात्रा अधिक होती है।
कुछ दवाओं के नाम निम्न लिखित है :-
- सिल्डेनाफिल
- टेडलाफिल
- वार्डनफिल
- अवैनाफिल
आयुर्वेदिक दवा का प्रयोग :-
आयुर्वेदिक दवा के प्रयोग से भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन मुक्ति पाई जा सकती है। जिसमे निरोगायुर्वेद (Nirog Ayurved) प्रमुख है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :-(FAQ )
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का पता कैसे लगाएं ?
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का पता इसके लक्षणों को पचान कर किया जा सकता है। जैसे - । इरेक्शन बनाए रखने में परेशानी। यौन इच्छा में कमी।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन को ठीक करने के लिए क्या खाना चाहिए ?
दवाओं के अतिरिक्त खान पान में परिवर्तन से भी इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। जैसे :- हरी सब्जियां , फल , अनाज , मछली , बीन्स , बादाम कद्दू इत्यादि।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन को आयुर्वेदिक उपाए से कैसे दूर करें ?
स्तम्भन दोष को आप आयुर्वेदिक जड़ीबूटी मुलांदो से बनी दवा लिव मुज़्तंग (LIV Muztang) से भी आप इसका इलाज कर सकते है।यह जड़ी बूटी आयुर्वेद के अनुसार इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या से लड़ने के लिए सबसे अधिक लाभकारी एवं प्रभावकारी मानी गयी है
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
शिलाजीत के इस्तेमाल से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को दूरकिया जा सकता है क्योंकि इसमें काम की उत्तेजना को बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। सेक्सुअल कमजोरी को दूर करने के लिए शिलाजीत को अश्वगंधा के साथ इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
क्या इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज संभव है?
कुछ पुरुषो में यह प्राकृत तरीके से ठीक हो जाता है । लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक या देसी इलाज को करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। अगर आपको इनमें से किसी प्रकार की मानिसक समस्या है तो यह आपके अंदर नपुंसकता का कारण हो सकते हैं ।